ब्रह्मकमल : उत्तराखंड की लोक-कथा - 2

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एक बार परियों की राजकुमारी ने अपने साथ की परियों से धरती पर उसे ले चलने का आग्रह किया। सभी परियाँ रानी के क्रोध से बहुत डरती थीं। अतः उन्होंने परियों की राजकुमारी को साथ ले चलने से मना कर दिया।परियों की राजकुमारी बहुत जिद्दी थी। वह वापस अपने महल के बगीचे में आ गई और एक स्थान पर छिप गई।प्रातःकाल का समय था। धरती पर आनेवाली परियों ने अपने-अपने पंख लगाए और धरती की ओर उड़ चलीं। इसी समय परियों की राजकुमारी बाहर निकली और वह भी अपने पंख लगाकर परियों के पीछे-पीछे चल पड़ी। धरती पर जानेवाली परियों