"यार क्या करूँ?फिर से मेरे वीजे की दरखास्त रद्द हो गयी है"कालेज से बाहर आने पर आयशा,रत्ना से बोली थी।आयशा के दादा दादी कानपुर के रहने वाले थे।ये बात देश के बंटवारे मतलब भारत से पाकिस्तान के अलग होने से पहले की है।ये बाते आयशा ने अपने अब्बू से सुनी थी।उसके दादा इरफान का कानपुर में अपना कारोबार था।वहाँ पर उनकी इज्जत थी।मुसलमान ही नही हिन्दू भी उनके अच्छे दोस्त थे।उनकी दुकान पर आने वालों में सभी जाति धर्म के लोग थे और सभी से उनके अच्छे सम्बन्ध थे।आगे बढ़ने से पहले रत्ना के बारे में भी जान ले।रत्ना के