हाथी रंग-रँगीले

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यशवन्त कोठारी सर्वत्र हाथियों का साम्राज्य छाया हुआ है। सफेद हाथी, काले हाथी, पीले, नीले और हरे हाथी। कहीं अंधों के हाथी हैं तो कहीं अंधों हाथी के पाँव में सबका पाँव है तो कहीं हाथी गया गाँव-गाँव और हाथी गया ठाँव-ठाँव। मास्टर के घर हाथी आता है तो कोई देखने नहीं आता है, मगर प्रधान के घर हाथी आता है तो पूरा गाँव देखने आता है। गजराज की चर्चा क्यों न हो, आखिर वे सब जगह सब रूपों में दिखाई दे रहे हैं। विकास का हाथी, भ्रष्टाचार का हाथी, समस्याओं का हाथी, आतंकवाद का हाथी, पुलिस का हाथी, बलात्कार