साथ जिंदगी भर का - भाग 25

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आप सॉरी मत बोलिए कुंवर जी आस्था तो फिर क्या करें एकांश कि नहीं कहते हुए आस्था के गालों पर आए हुए बाल पीछे किए फिर एक बार आस्था सिहर उठे और यह एकांश को भी महसूस हुआ उसने झट से अपना हाथ पीछे ले लिया कुंवर जी आप हम आस्था हमारा रिश्ता अभी तक इतना कमजोर है कि हमसे आप ठीक से बात भी नहीं कर सकती एकांश हमें शर्म आ रही है दिल कह रहा है कि आप से बहुत बातें कर लेकिन अपना मुंह में से अल्फाज ही नहीं निकल रहे हैं और ना ही पलके उठ