कुँवरजी ... प्र ... प्रसाद लिजिये ना .. आस्था उसे इस तरह अपने आप को देखता देख असहज हो गयी हा .... हम्म .... दिजीये .... एकांश ने उसकी असहजता महसूस की । हम जाये .... आस्था नही .... आराम किजीये .... कही जाने की जरुरत नही है .... एकांश ने झट से कहा क्यु की वो जानता था की वो अपने हमेशा की रूटीन की तरह नाश्ता बनाने जायेंगी । आपने सुना नही .... जाइये लेटीये बेड पर .... उसे खड़ा देख एकांश ने फिर से कहा जाने दिजीये ना .. हमे भूक लगी हे .... आस्था ने आखों