शंकर, जब से शहर आया था, बहुत बदल गया था, छोटे से गांव से आया एक सीधा सादा युवक शंकर, वहां के सम्मानीय गिरिजा पंडित जी की पहली औलाद, बड़े सपनों से पाल पास के शहर पढ़ने भेजा था उन्होंने, पर अब उसे कोई देखे तो पहचान भी न सके।उसकी वेशभूषा ही नहीं बदली थी केवल, रंगढंग, बोलचाल, यहां तक की उसने अपना नाम भी बदल डाला था, लोग उसे अब शेंकी के नाम से जानते थे।कॉलेज के कुछ हुड़दंगई लड़कों के ग्रुप का नेता था वो, कहीं किसी को पीटना हो, छेड़छाड़ करनी हो, सबसे आगे रहता।लड़कियों के आगे