वाजिद हुसैन की कहानी-प्रेमकथा शाम का झुटपुटा होते ही वह लड़की एक बार फिर उस शांत, छोटे पार्के के कोने में आई। वह एक बेंच पर बैठ गई और एक किताब पढ़ने लगी, क्योंकि अभी आधा घंटा और था जिसमें यह किया जा सकता था। ... उसकी पोशाक भूरी और साधारण थी और उसने एक स्कार्फ से अपने चेहरे को ढक रखा था। उसके पीछे से उसका शांत चेहरा झांक रहा था, जिसकी सुंदरता से वह बेखबर थी। वह यहां इसी समय बीते दिन भी आई थी। और वहां एक व्यक्ति था जो यह जानता था। ... जो युवक यह