अपना आकाश - 17 - नकेल हमारे हाथ में

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अनुच्छेद- 17 नकेल हमारे हाथ मेंसप्ताह भर बाद रविवार का दिन। मंगल ने भंवरी से कहा, 'जरा भाव-ताव भी पता कर लूँ। वीरू की आज छुट्टी है। खेत पर ही पढ़ाई करता रहेगा। तू भी बीच-बीच में देखती रहना।' 'होशियारी से काम करना । तनिक सी चूक बहुत दुख देती है। हिसाब-किताब की बारीकी समझ कर कदम उठाना।' भँवरी ने सचेत किया।जल्दी से रोटियाँ सेंकी।रोटी दही खाकर मंगल तैयार हुए। तन्नी वत्सला बहिन जी के यहाँ गई थी। वीरू भी दही रोटी खाकर बस्ता ले खेत पर चला गया। मड़ई में चारपाई पर बैठकर पढ़ता और लहसुन का खेत भी