अपना आकाश - 14 - हम तो डरे हुए थे

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अनुच्छेद- 14 हम तो डरे हुए थेतरन्ती की माँ आज तड़के ही उठ गई। राधा को जगाया। जल्दी से नहा धोकर तैयारी में जुट गई। आलू-परवल की सब्जी उन्होंने स्वयं बनाई। राधा ने आटा गूंधा, पूड़ियाँ बेलने लगी। फूलमती छानती रही। आज उन्होंने दही मथा नहीं है। जमा हुआ दही उन्होंने एक बर्तन में रखा। पूड़ी सब्जी और दही को सहेज कर उठीं तो लेन देन के बारे में सोचने लगीं। माई बाप और बेटा आ रहा है देखने। माई के लिए साड़ी, बाप बेटे के लिए कपड़ा कुछ नकदी सब कुछ सहेजते नौ बज गया। तरन्ती के पिता घर