अपना आकाश - 12- वत्सला के घर तन्नी

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अनुच्छेद- 12 वत्सला के घर तन्नीवत्सला का घर तन्नी का भी बन गया। सुबह वह गाँव से निकल आती। कोचिंग में पढ़ती, ग्यारह बजे लौटती । वत्सला बहिन जी के यहाँ पहुँचती। अंजली माँ का प्रश्न होता, 'क्या पढ़ा ?" तन्नी विस्तार से पढ़े हुए अंश का विवरण देती। माँ कुछ संतुष्ट होती। अदरख डालकर चाय बनाती। माँ को देती, स्वयं भी पीती। कडुवा तेल लेकर माँ जी के शरीर पर मालिश करती । उन्हें नहलाने में मदद करती। रोटियाँ सेंक कर माँ के लिए थाली लगाती । 'अपने लिए भी लाओ।' माँ कहती। तन्नी अपने लिए भी एक थाली