अपना आकाश - 10 - कुछ करना तो ईमानदारी से

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अनुच्छेद- 10 कुछ करना तो ईमानदारी सेवत्सला अपनी माँ अंजलीधर को साथ ले आईं। उन्हें दमे की शिकायत है। कभी कभी दमा बढ़ जाता और खाँसते खाँसते उनका दम निकलने लगता । ऐसा पूरी जिन्दगी में तीन बार ही हुआ है। पर जब दमा उभरा, उन्हें दो-तीन सप्ताह दवा करनी पड़ी। आज रविवार हैं। वत्सला ने दो कप चाय बनाया। एक कप माँ को देकर दूसरा कप हाथ में ले वे सोफे पर बैठ गईं। वे स्कूल चली जातीं तो माँ अकेली हो जाती। अंजलीधर बराबर कहतीं, बेटे तुम चिन्ता न करो, हम रह लेंगे। दिन में कोई दिक्कत न