श्री चैतन्य महाप्रभु - 6

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जगन्नाथ मिश्र का स्वप्न तथा परलोक-गमनएक दिन जगन्नाथ मिश्र ने एक स्वप्न देखा। स्वप्न देखकर वे शोक सागरमें डूब गये। शय्या से उठते ही भगवान्‌ को प्रणाम करते हुए कहने लगे– “हे कृष्ण ! हे गोविन्द ! प्रभो ! मैं आपसे केवल एक ही वर चाहता हूँ कि मेरा निमाइ गृहस्थ होकर मेरे घरमें ही रहे।” यह सुनकर शची माता ने चिन्तित होकर पूछा– “क्या बात है, आज आप शय्या से उठते ही अचानक ऐसा वर क्यों माँग रहे हैं?” मिश्र कहने लगे– “आज मैंने एक स्वप्न देखा । निमाइ का सिर मुण्डा हुआ था तथा वह एक अद्भुत संन्यासी