“ सुनिए जी ये (दीदी) जेठानी जी के दोनों बच्चों को किसी सरकारी विद्यालय में डाल दीजिए ... हमारे बच्चों के साथ उनका कोई ताल - मेल नहीं है ... समझ रहे हैं ना ? ” रमता ने अपने पति से ग़ुस्से में कहा उधर रास्ते से गुजरती गोपाली जी ने ये सब सुन लिया और कमरे में जाकर पति की तस्वीर देख आँसू बहाते हुए बोली, “ आपको तो बड़ा नाज़ था ना अपने दोनों बेटों पर ... हमेशा कहते रहते थे देखना ये दोनों हमारा नाम रौशन करेंगे … वो नाम क्या रौशन करेंगे … आप ही मँझ