पड़ोसी धर्म

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नमस्ते राजूभाई... सुबह की सैर करने के बाद घर लौट रहे अपनी गली के एक रहने वाले राजूभाई को झाड़ू लगाती हुई सुधा ने कहा ... नमस्ते भाभीजी ... वो मुझे आपसे ... सुधा के बाकी शब्द अभी मुंह में ही रह गए थे कि राजूभाई तेजी से आगे बढ़ गये सुधा मुंह बनाकर मन मोसकर रह गई क्योंकि जो वो पूछना चाह रही थी वो नहीं पूछ पाई थी काफी देर तक वो बहाने से बाहर निकलकर यहां वहां गली के लोगों को देख रही थी ताकि कोई दूध लाता या सैर करने के बाद लौटते हुए उससे मिल