टूटता तारा

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टूटता तारा   रात के सन्नाटे में दूर कहीं बादल जोरों से गरजे और श्रावणी की आँखें घबराहट के मारे खुल गई। खिड़कियों की आवाज सन्नाटे में उसे बादलों की गर्जना सी ही लग रही थी। वह उठकर खिड़की बंद करने लगी, तभी फिर जोरों से बिजली चमकी और एक तारा टूटता हुआ नजर आया।... टूटता तारा देखकर कुछ मांगो तो वह इच्छा पूरी होती है... यह हमेशा सुना था। ..चलो आज मांगकर देखते हैं ...सोचकर मन ही मन कहने लगी ..."मेरा जो साथी मुझसे दूर कहीं बैठा है, वह सलामत रहे" और बस आँखों से बेवजह आँसू बहने लगे।