========== आज तो श्रेष्ठ के साथ आना ही पड़ा था | अम्मा की लिस्ट में वह पहले नं पर था और उसके बाद प्रमेश! डॉ.पाठक से भी अम्मा की बात होती रहतीं और वे उनसे यही कहतीं कि डिसीज़न तो अमी को ही लेना है | पिछले दिनों इतना कुछ घटित हो गया था कि कोई भी चैन से नहीं रह पाया था | आजकल भी अम्मा-पापा का ध्यान संस्थान और मेरे अलावा शीला दीदी के परिवार के सदस्यों पर भी केंद्रित था | जीवन की धूप में मैं भी जल रही थी और छाँह का नामोनिशान दिखाई नहीं दे