पिछले भाग में आपने पढ़ा कि अमित अवंतिका और रोहित उस सर्पीली घुमावदार सुरंग के जब अंतिम छोर पर पहुंचे तो स्वयं को बहुत बड़े हॉल में पाया और सामने देखते ही वे अचंभित हो उठे। अब आगे- बहुत बड़ा आयताकार कक्ष था सामने बिल्कुल सामने शिवजी की करीब सात फुट ऊंची प्रतिमा थी, शिव की जटाओं से बिल्कुल फव्वारे के रूप में पानी की धारा प्रस्फुटित हो रही थी। मूर्ति के चरणों से थोड़ा आगे एक स्वच्छ जलकुंड था। जलकुंड के बिल्कुल मध्य में करीब तीन फुट ऊंचा शिवलिंग था, शिव जटाओं से निकली जल धारा सीधे शिवलिंग पर