क़ाज़ी वाजिद की कहानी-प्रेम कथा प्रलय काल था। आकाश के तारे गायब। धरती के सब प्रदीप बुझे हुए थे। आंधी बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही थी। भूस्खलन भी शुरू हो गया था। कुछ माह पहले ही शशिकांत वकील मुझे ब्याह कर इस पहाड़ी पर लाए थे। वह मुकदमे के सिलसिले में हाई कोर्ट गए हुए थे। मैं घर के बाहर खड़ी उस मलवे को ताकती जो ऊचाई से खिसकता हुआ मेरी ओर आ रहा था। तभी मुझे एक घबराई हुई आवाज़ सुनाई पड़ी, जो मुझे बचपन के दोस्त नरेंद्र की लगी। उसने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे लेकर