और फिर आलोक ने काव्या चलो ये सब पुरा करना जरूरी है ।।वरना मुझे तो मर कर भी शान्ति नहीं मिलेगी।फिर कुछ ही देर बाद सब कुछ थम सा गया एक अजीब सा दर्द सीने में उठा और फिर आलोक अपने बेटे को बुला भी न सका और फिर सब कुछ शांत हो गया।।।।दुसरे दिन सुबह काफी देर तक आलेख भी सोता रहा और राधा भी।क्या हुआ पता नहीं चल पाया।छाया ने ही आलोक को उठाने की कोशिश कि तो छाया को एक अजीब सा आभास हुआ और शरीर का ठंडा पड़ जाना देख कर बिना रुके चिल्लाने लगी बाबूजी