अपना आकाश - 8 - सीखो प्रताप सीखो

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अनुच्छेद- 8 सीखो प्रताप सीखो तन्नी ने स्ववित्त पोषित महाविद्यालय में प्रवेश लिया। एक दिन वह तरन्ती को लेकर महाविद्यालय गई। प्रयोगशाला का नाम भर था न कोई सामान, न कोई प्रयोग कराने वाला। तन्नी ने सोचा प्राचार्य जी से मिलकर महाविद्यालय की कार्य पद्धति के बारे में जाना जाय उसने एक बाबूनुमा व्यक्ति से पूछा, 'प्राचार्य जी कब मिलेंगे?' 'क्या काम है?' उसने पूछा । 'पढाई-लिखाई परीक्षा के बारे में बात करती।' 'प्रवेश ले लिया है न?‘हाॅं’,'तो सारी शंकाओ का समाधान यहाँ प्रबन्धक जी करते हैं। वह ऊपर वाले कमरे में बैठे हैं। वे नहीं होते हैं तो प्रताप