अपना आकाश - 7 - खेतिया कैसे सँभरी ?

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अनुच्छेद-७ खेतिया कैसे सँभरी ? कुवार की रात का अन्तिम प्रहर। मंगल उठे। देखा रात खिसक गई है। उषा की आभा क्षितिज पर दिख रही है । हल्की सिहरन । उन्होंने अंगोछे को सिर में बाँधा। भैंस भी जग गई। उसकी आवाज़ सुन वे दुहने के लिए तैयार हुए। भँवरी की भी नींद खुली। वह भी उठी। मुँह हाथ धोया, दूध दुहने के लिए बाल्टी साफ कर रख दिया। दही मथने बैठ गई। अभी तन्नी और वीरू सो रहे थे। भँवरी मथानी को धीरे-धीरे चलाती रही। बच्चे देर तक पढ़ते हैं। उनकी नींद न टूट जाय। मंगल ने भैंस को