मुजाहिदा - ह़क की जंग - भाग 24

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भाग 24निकाह के बाद की जो रातें मोहब्बत के आगोश में बीतनी चाहिये थीं वो रातें नश्तर के माफिक चुभन दे रही थीं। उसे नही पता था सुहागरात पर पड़े हुये गुलाब के फूल काँटों में बदल जायेंगे। उसकी महक और जाज़िफ आराईश इतनी जल्दी बदसूरत हो जायेगी। ख्वाबों में सलीके से तराशी गईं, सभी तस्वीरें मिटने लगेंगी। हवाओं में तितलियों सा उड़ना, नदियों सा बह जाना एक ख्वाब ही रह जायेगा। उसकी चाहतें उसके अहज़ान का अस्बाब होंगीं। वह खुद को एक बदनसीब की तरह देख रही थी।जिस्मानी तौर पर किसी भी हाल में, किसी भी हालात में जबरदस्ती