सोई तकदीर की मलिकाएँ - 59

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  59   जयकौर को जब तक बस अड्डे पर खङा सुभाष दिखाई देता रहा , वह उसे देखती रही पर जलदी ही वह धुंधला दिखने लगा और फिर आँख से ओझल हो गया । मोटरसाइकिल ऊँची नीची सङक पर बल खाती आगे बढती रही । लङके ने मौन तोङने के लिए पूछा –चाची , आप कहीं गयी थी क्या ? हाँ , मायके गयी थी परसों सुबह ।चाचा नहीं गया आपके साथ ? आप अकेली गई थी ?उसके मुँह से निकलने वाला था कि अकेली क्यों , मेरा सुभाष गया था न मेरे साथ पर तुरंत संभली – उन्हें