परदेस में ज़िंदगी - भाग 3

  • 6.5k
  • 2.7k

अब तक आपने पढ़ा :-विदेश भाई का परिवार कैसे अपने ही देश में अप्रत्याशित तकलीफ़ों का सामना कर रहा था उस परसे विदेश जाने की कार्यवाही पूरी हो गई ऐसे मैं अपने देश में सब छोड़ छाड़कर नई उम्मीदों के सहारेमें तेज भाई भाभी और अभिषेक चल पड़े एक देश की ओर जिसे संभावनाओं का देश कहते हैंअब आगे पढ़ीये:-सामान्यतः लोग संकोच करते हैं अपने देश से बाहर पैर निकालने मैं, और अपने देश में अपनों केबीच चल रहे हैं रोज़मर्रा के सामान्य जीवन से बाहर निकलना ये बिलकुल आसान नहीं है व्यवस्थितपरिस्थितियां को छोड़ना या यूँ कहे की कहें