वैंपायर अटैक - (भाग 8)

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हरजीत सिंह को इस यहां आने से पहले ही पता था कि यह मिशन कितना खतरनाक है....पर उनके पन्द्रह साल के पुलिस कैरियर में किसी भी प्रकार का ड़र कभी भी उनकी कर्तव्यनिष्ठता को बाधित नही कर सका......और आज भी अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से निर्वहन करते हुए आज इस हालत में पड़ा था यह बहादुर पुलिस वाला। लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ को डॉक्टरी का कामचलाऊ अनुभव भी था.....क्योकि दो साल उन्होंने आर्मी हॉस्पिटल में भी एक वॉलिंटियर के रूप में सेवाएं दी थी.......उन्होंने बड़ी सावधानी के साथ उस पथरीली तलवार को हरजीत सिंह के शरीर से अलग किया..व अपनी शर्ट को