गाँव की शादियां

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पहले गाँव में न टेंट हाऊस थे और न कैटरिंग। थी तो केवल सामाजिकता व व्यवहारिकता। गांव में जब कोई शादी होती तो घर के अड़ोस-पड़ोस से चारपाई आ जाती थी, हर घर से थरिया, लोटा, कलछुल, कड़ाही इकट्ठा हो जाती थी और गाँव की ही महिलाएं एकत्र हो कर भोजन बना देती थीं। औरते ही मिलकर दुल्हन को तैयार कर देती थीं और हर रस्म का गीत-गाल आदि भी खुद ही गा डालती थी। तब डीजे जितु - डीजे श्रीकृष्णा जैसे उपकरण नहीं होते थे और न ही कोई आरकेस्ट्रा वाले फूहड़ गाने। गांव के सभी पटेल तरह के