कहानी एक स्त्री के आत्मसम्मान की

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एक स्त्री वह औरत है जिसे बाकायदा हर महीने माहवारी आती है। वहीं माहवारी जिसको स्त्री अपने 11 साल के उम्र से हर महीने बर्दाश्त करती है। यह माहवारी उनका चॉइस नहीं होता। यह तो कुदरत का दिया हुआ एक वरदान होता है। वहीं माहवारी जिसमे पूरा शरीर अकड़ जाता है। कमर टूटने लगती है। पेट का दर्द असहनीय होता है। और मानसिक तनाव इतना की सामान्य दिनों में सिर्फ सोच कर ही सिहरन पैदा हो जाती है।   हर महीने के माहवारी के दर्द को बर्दाश्त कर अपने आप को अगले महीने के लिए फिर से दर्द सहने के