भाग -3 एक दिन मन में ऐसी ही पुरानी बातों को सोचती हुई मैं वॉर्ड बिज़ी में थी। सुबह से ही तनाव के कारण हल्का-फुल्का नाश्ता करने के अलावा कुछ नहीं खाया था। दोपहर के कुछ समय बाद ही एक एमर्जेन्सी डिलीवरी का केस आ गया। शुरू में लगा कि मामला सीरियस है। लेकिन घंटे भर में नॉर्मल डिलीवरी हो गई। जब शाम को मेरी ड्यूटी ऑफ़ हुई तो मैं घर नहीं गई। रेस्ट-रूम में लेटी मोबाइल पर सोशल-मीडिया के ज़रिए अपने माँ-बाप को ढूँढ़ने में लगी रही। थोड़ा ही समय बीता था कि एक साथी नर्स ने आकर कहा