प्रदीप श्रीवास्तव भाग -1 ......एक गुमनाम नर्स की असाधारण कथा मैं क़रीब दो साल की रही होऊँगी, तभी मेरे पेरेंट्स का डायवोर्स हो गया था। इसके बाद मदर मुझे लेकर ननिहाल आ गईं। ननिहाल में तब नाना-नानी थे। उन्हें बहुत शॉक लगा कि उनकी बेटी का वैवाहिक जीवन चार साल भी नहीं चला। उन्हें शॉक इस बात का भी लगा कि बेटी डायवोर्स लेकर सिलवासा से दिल्ली आ गई, लेकिन उन्हें इस बात की भनक भी नहीं लगने दी कि डायवोर्स लेकर आई है। कभी फ़ोन पर बात-चीत में या जब साल भर पहले आई थी, तब भी यह संकेत