बप्पा रावल

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कालभोज( बप्पा रावल ) एक राजपूत बालक की गाय रोज दूध दुहने के समय कहीं चली जाती थी। उस बालक को रोज भूखा रहना पड़ता था इसलिए एक दिन वो उस गाय के पीछे पीछे गया। गाय एक ऋषि के आश्रम में पहुंची और एक शिवलिंग पर अपने दूध से अभिषेक करने लगी। बालक को बड़ा आश्चर्य हुआ ये क्या चक्कर है तभी उसने देखा उसके पीछे एक ऋषि खड़े मुस्कुरा रहे है। ऋषि का नाम था "हारीत ऋषि"। उन्होंने उस बालक को शिक्षा दीक्षा दी और उनके आशीर्वाद से उन्होंने 734 ईस्वी में मनमोरी नामक मौर्य सम्राट को चितौड़