मीराबाई की जीवनी... पायो जी मैंने नाम रतन धन पायो।बस्तु अमोलक दी म्हारे सतगुरु, किरपा कर अपनायो।जनम जनम की पूंजी पाई, जग में सभी खोवायो।खरचै नहिं कोई चोर न लेवै, दिन-दिन बढ़त सवायो।सत की नाव खेवहिया सतगुरु, भवसागर तर आयो।मीरा के प्रभु गिरधर नागर, हरख-हरख जस पायो।।इन पंक्तियों को पढ़कर आपके जेहन में आ गया होगा की में किस के बारे में बात कर रहा हूँ, जी हाँ वह है भक्तिकाल की महान विदुषी ‘मीराँबाई’जीवन परिचयजन्म-1498जन्म स्थान-कुड़की {मेड़ता}पूरा नाम-मीराँपति-भोजराज [1516–1521]पिता-राव रत्नसिंहमाता-वीर कुमारीदादा-राव दूदामृत्यु-1557मृत्यु स्थान-द्वारकामीरांबाई अथवा मीराबाई हिन्दू आध्यात्मिक कवयित्री थीं, जिनके भगवान श्रीकृष्ण के प्रति समर्पित भजन उत्तर भारत में