पहल

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फोन की घंटी बज रही है, फोन उठाते ही अगली ओर से आवाज आती है, "ये सब क्या सुन रही हूं, माॅं। आप लोग विनीता की शादी करने जा रहे हैं।’’ "तो इसमें हर्ज ही क्या है, ये तेरे पापा और मेरा दोनों का फैसला है।’’ "और विनीता? क्या वो मान गयी?’’ "आसान नहीं था,बहुत मनाना पड़ा, अपनी जान की कसम दी है तब जाकर मानी है।’’ "माॅ, आपका दिमाग फिर गया है क्या, लोग क्या कहेंगे, हंसेगी दुनिया आप पर।’’ "हंसने दो, दुनिया का काम है कहना, चार दिन बातें करेंगे, फिर भूल जायेंगे।’’ "माॅं, आप ऐसा कैसे कर