श्री चैतन्य महाप्रभु - 5

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भक्ति विमुख एवं वैष्णव-विद्वेषी ब्राह्मणों को दण्डअब निमाइ कुछ बड़े हो चुके थे, अतः मिश्र ने उन्हें विद्या अध्ययन के लिए विद्यालय में भेज दिया। उनकी बुद्धि इतनी तीव्र थी कि एक बार सुनने मात्र से ही उन्हें सब कुछ स्मरण हो जाता था। वे अपने से उच्च कक्षा के छात्रों को भी बातों ही बातों में हरा देते थे। यह देखकर सभी आश्चर्यचकित रहे जाते थे।विद्यालय से वापस आते समय निमाइ अपने मित्रों के साथ गङ्गा में अनेक प्रकार की जल क्रीड़ाएँ करते थे। यदि वे देख लेते कि कोई भक्ति रहित एवं वैष्णव-विद्वेषी ब्राह्मण जल में खड़ा होकर