भाग 104 महेश खीर की कटोरी ले कर पुरवा के पास कमरे में गया और उसकी कटोरी को उसके सामने रख कर खीर खाते हुए बोला, "तुमने बनाई है..! बहुत ही स्वादिष्ट खीर है। लो तुम भी खाओ। मां को चिंता थी की उनकी बहू भूखी होगी। इसलिए मेरे हाथों भिजवाया है। लो जल्दी से खा लो वरना मां नाराज हो जायेगी।" खीर खत्म कर महेश बोला, "अच्छा पुरु..! अब मैं बाहर जा कर पढ़ाई करता हूं। तुम भी आराम करो।" पुरवा को हर पल अपने घर और बाऊ जी की याद आती थी। खास कर ये चिंता लगी रहती