भाग 103 कुछ मिनट पुरवा सिर झुकाए बैठी रही और महेश खामोश सामने रक्खी कुर्सी पर बैठा पुरवा के चेहरे के अप्रतिम सौंदर्य को अपलक निहारता रहा। तभी पुरवा के अपने सिर से जरा से सरके पल्ले को ठीक करने के लिए हाथ उठाया तो चूड़ियों की खनखन से महेश वर्तमान में आया और गला साफ करते हुए बात चीत शुरू करने की कोशिश करते हुए बोला, "तुम्हारा नाम क्या है..?" पुरवा धीरे से बोली, "पुरवा…" महेश बोला, "अरे..! वाह.. ये तो बड़ा सुंदर नाम है बिलकुल तुम्हारी ही तरह..। पर मैं तुम्हें पुरु कह कर बुलाऊंगा। मैं तुम्हें पुरु