भाग 102 सब के सो जाने पर गुलाब महेश के पास कमरे में गई। वो किताब खोले बाहर वाले कमरे में पढ़ाई कर रहा था। चार पांच महीने बाद ही उसकी फाइनल परीक्षा होने वाली थी। उसी की तैयारी में ध्यान केंद्रित कर रहा था। भिड़े दरवाजे को खोल कर वो महेश के पास गई और बोली, "बाबू….! चल अंदर वाले अपने कमरे में चल। वही सो जाना।" महेश अनभिज्ञ बनता हुआ बोला, "नही मां..! मुझे यहीं रहने दो। अभी पढूंगा मैं।" गुलाब पास आ कर उसकी किताब बंद कर दी और बोली, "जिंदगी भर पढ़ाई ही करनी है। चल