बहुत समय पहले की बात है। एक नृत्यांगना थी, दमयन्ती। बेहद खूबसूरत। उसकी खूबसूरती देखकर पुरूष तो पुरूष, महिलायें भी दांतों तले उंगलियां दबा लेती थीं। रूप ऐसा मनमोहन जैसे भगवान ने उसे गढ़ने में सदियाॅं लगायी हों, एक एक अंग तराशा हुआ, नृत्य की कला में ऐसी माहिर कि जिस राज्य में वह नृत्य के लिये जाती, वहाॅं उसके नाम के चर्चे हो जाते। उसकी अदायें इतनी मोहक थी कि जो रूप से न हारे वो अदाओं से हार जाता था। दमयन्ती अब तक जाने कितने राज्यों में अपने नाम का डंका बजा चुकी थी और लगभग हर राज्य