भाग 79 नानी के घर से निकलते-निकलते साढ़े आठ बज गए थे। पहाड़ी रास्तों पर सफर का आनंद उठाते हुए सब मंजिल की ओर बढ़े जा रहे थे। तभी अशोक बोले, "साजिद भाई..! आप सब की बदौलत अच्छे से कटास -राज बाबा के दर्शन हो गए। हम वहां सब कुछ पड़ोसियों के भरोसे छोड़ कर आए हैं। जिस गाड़ी से हम आए थे वो कब मिलेगी..? हमें उसी गाड़ी पर बैठा दे आप।" सलमा उलाहना देते हुए बोली, "क्या अशोक भाई..! अभी आज ही लौट रहे हैं और जाने की तैयारी भी कर रहे हैं। रुकिए कुछ दिन तब जाइएगा।