वीर

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दोस्तों, रामधरीसिंह दिनकरजी के द्वारा लिखित ये कविता " वीर " देश के उन सभी विरो को समर्पित जो बॉर्डर पर है, जो दिन रात हमारी रक्षा करते है ताकि हम चैन से सो सके। और उन सभी वीरों को समर्पित जो रोजमर्रा की जिंदगी में जंग लड़ रहे हैं। और खास करके कोरोना महामारी के समय में जिन्होंने अपनी जान जोखम में डालकर हम सब की सेवा की है। ये कविता समर्पित है उस 15 साल की बच्ची को जो गुड़गांव से लेके बिहार तक अपने पिताजी को साइकिल पे बैठाकर घर वापस लेकर गई। ये कविता समर्पित है