शिखाकुछ ख़ामोश सा था दिल है । न जाने क्यों ? पर बार - बार उसकी याद आ रही थी । चार साल हो चुके मेरे विच्छेद को पर शायद ही कोई पल गया हो उसे याद किए बिना । कितने खुश थे हम दोनों । छोटा सा परिवार था मेरा । मम्मी, पापा, मैं और शिखा । शिखा, माँ - पापा की पसंद थी यानि मां - पापा द्वारा किया गया रिश्ता । हम खुशी से जीवन जी रहे थे । मम्मी पापा भी इतनी प्यारी, सुशील बहू पाकर खुश थे । शिखा थी ही इतनी प्यारी कि हर