भाग 40 पुरवा अशोक की खटिया से उठ कर उर्मिला की खटिया पर आ गई और बोली, "अम्मा..! देखो भाई….सोना तो मेरे हाथ में है, पर जागना नही। वैसे भी आज हम तुम्हारे चक्कर में इतनी दूर पैदल आ जा कर बहुत थक गए हैं। फिर घर में घुसते ही चाय बनवाने लगी हो। अब मेरे पैरों में जोरों का दर्द हो रहा है। इसलिए हमको सुबह जगाना मत, आराम से सोने देना।" उर्मिला अशोक से बोली, "अब देख लो… अपनी लाडली के नखरे.। सुबह जल्दी नही उठेंगी महारानी जी। बड़ा बखान, बड़ी तारीफे की है हमने गुलाब बुआ से