भाग 15 आरिफ ने नाज़ और अमन का आपस में परिचय करवा दिया था। दो चार बातें नाज़ से भी कर ली थी। अब वापस भी जाना था। आरिफ को तो एक नजर बस नाज़ को देखना होता था। उसके मन की बेचैनी शांत हो जाती थी। वो बोला, "अच्छा…! तो पुरवा अब तुम और नाज़ वापस घर जाओ। देर करने से घर पर डांट पड़ेगी तुम दोनो को। जो मैं नहीं चाहता हूं।" नाज ने पुरवा का हाथ पकड़ा और वापस जाने को तत्पर हुई। उसने अपने हाथ उठा कर बारी बारी से अमन और आरिफ को मुस्कुरा कर