भाग 12 पुरवा ने रात का खाना बना दिया था। उसे ढलती हुई धूप देख कर अंदाजा हो रहा था समय होने वाला है। वो उर्मिला के पास आकर बोली, "अम्मा…! खाना तो बना दिया। अब क्या करूं…?" उर्मिला बोली, " जा … आराम कर ले।" पुरवा बोली, "अम्मा…! देख रही हो दिन ढलने वाला है। अब क्या आराम करूंगी…?" "तब … फिर जा जो किताब आरिफ ने दिया है। उसे पढ़ ले।" फिर पुरवा बोली, " नही… अम्मा…! अभी मन नहीं है। सुबह से किताब ही तो पढ़ रही थी। बोलो ना अम्मा…! क्या करें…" अब उर्मिला वही बोली