मन का बोझ

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काज़ी ‌वाजिद की कहानी - पश्चाताप मैं गांव से आई .ए .एस की कोचिंग के लिए शहर आया था। जिस जगह पर मैने कमरा किराए पर लिया था, वह ख़सता हाल कोठी थी। उसमें बस यही एक फायदा था कि किराया बहुत कम था। मेरे सामने वाले कमरे में एक लड़की रहती थी, वह मकान मालकिन थी, जिसको औरत कहा जाए तो ज़्यादा मुनासिब होगा। सब उसे 'रजनी' के नाम से पुकारते थे। घुंघराले बालों और लंबे कद वाली रजनी के चेहरे पर कशिश के साथ एक अजीब कशमकश भी होती थी। उसका दरवाजा मेरे दरवाजे के बिल्कुल सामने था।