”अधूरी कहानी”एयरपोर्ट की सभी औपचारिकताओं को पार कर, सामान चैक-इन-कांउटर पर जमा करवाकर, चित्रलेखा के हाथ में बोर्डिंग कार्ड आ गया. फिर सिक्यूरिटी को पार कर वह एयरपोर्ट के वेटिंग लाॅज में आकर बैठ गई. वह चेन्नई जा रही थी बेटी के पास. बेटी आई. आई. टी. इंजीनियर थी और वहाँ पर जाॅब कर रही थी. कुछ दिनों से तबीयत खराब होने व तबीयत में सुधार न होने की वजह से उसे अचानक चेन्नई जाने का प्रोग्राम बनाना पड़ा था. वह जल्दी से जल्दी बेटी के पास पहुँच जाना चाहती थी. बेटी के पास जल्दी पहँुचने की बेचैनी उसके अन्दर