शिव्या को घर आये हुए एक हफ्ता हो गया था.। इस बीच केशव के बेहेवियर मे कोई अंतर नहीं आया था। उसका रोज का घर आना और पीके तमाशा करना। लिकेन आज तो उसने हद ही कर दी थी। पंखुरी सुबह काम पर जाती तो शिव्या को गीता के पास छोड़ जाती थी। और शाम को जब वापिस अति तो शिव्या को लेती और अपने काम निपटाकर शिव्या के साथ खेलती थी।ऐसे ही हस्ते खेलते हुए दिन बीत रहे थे। लिकेन हर दिन एक से नहीं होते। शायद वो दिन आज था. आज पंखुरी की छुट्टी थी इसलिए वो घर