में और मेरे अहसास - 79

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वो एक चहरा जो आज तक नहीं भूल सके l पर्दों का पहरा जो आज तक नहीं भूल सके ll   ढ़ेर सारे प्यार के बदले जो तूने दिये हुए हैं l वो घाव गहरा जो आज तक नहीं भूल सके ll   तपता सहरा जो आज तक नहीं भूल सके ll बादल गरज़ा जो आज तक नहीं भूल सके ll   आँखों से बरसा जो आज तक नहीं भूल सके ll     प्यार तो है मगर कुछ कमी है l यार तो है मगर कुछ कमी है ll   कजरारी आँखों से छलकता l जाम तो है मगर