मेरी दूसरी मोहब्बत - 3

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Part 3- Pehli Koshish रात का समय है। पवन इधर- उधर देखता है। क्या करूँ? ओह वो रही, इसकी इस समय सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी। एक लम्बी मोटी लम्बी रस्सी.... जिसे देखकर पवन की आँखों में चमक आ जाती है। अब तो आव देखा न ताव तुरन्त पवन रस्सी को उठाकर दबे पाँव कमरे की खिड़की से रस्सी को लटकाता है। अचानक से अवनि के पिताजी करवट लेते हैं, पवन तुरन्त दीवार के पीछे छिप जाता है। जैसे- तैसे करके डरते डराते रस्सी की मदद से वह खिड़की से नीचे आ ही जाता है। उसके पास कोई सामान नहीं होता