*शिक्षक की महिमा**मत पूछिए कि शिक्षक कौन है?**आपके प्रश्न का सटीक उत्तर**आपका मौन है।**शिक्षक न पद है, न पेशा है,**न व्यवसाय है ।**ना ही गृहस्थी चलाने वाली**कोई आय हैं।।**शिक्षक सभी धर्मों से ऊंचा धर्म है।* *गीता में उपदेशित**"मा फलेषु "वाला कर्म है ।।**शिक्षक एक प्रवाह है ।**मंज़िल नहीं राह है ।।**शिक्षक पवित्र है।**महक फैलाने वाला इत्र है**शिक्षक स्वयं जिज्ञासा है ।**खुद कुआं है पर प्यासा है ।।**वह डालता है चांद सितारों ,**तक को तुम्हारी झोली में।**वह बोलता है बिल्कुल,**तुम्हारी बोली में।।**वह कभी मित्र,**कभी मां तो ,**कभी पिता का हाथ है ।**साथ ना रहते हुए भी,**ताउम्र का साथ है।।**वह नायक ,खलनायक