क़ाज़ी वाजिद की कहानी - प्रेमकथा डाक्टरी की परीक्षा पास करने के बाद मेरी नियुक्ति मसूरी के सरकारी अस्पताल में हुई। छुट्टी के दिन भीषण ठंड के कारण मेरा चित ठीक नहीं था इसलिए बदमिजाज़ी से चिंता का पहाड़ लिए, एक बस में बैठ गया जो मैदान की ओर जा रही थी। परन्तु बस में आई तकनीकी खराबी के कारण मुझे रास्ते में उतरना पड़ा। उस समय मेरा मन, कभी लौटने को, तो कभी बस के ठीक होने तक रुकने को कहता। तभी मुझे देवदार के वृक्षों के बीच से आते हुए प्रकाश में एक अद्भुत-सा मकान दिखा। वहां से